अंतरधार्मिक शादी शरीयत में अवैध- मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

    0
    138

    मौलाना ने कहा- “धार्मिक शिक्षा के अभाव से हो रही मुस्लिमों की गैर मुस्लिमों से शादी, बाद में करना पड़ता है परेशानियों का सामना”

    संध्या देवी

    चित्रकूट। मुस्लिमों की गैर मुस्लिमों से शादी के बढ़ते मामलों पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने चिंता जताई है। बोर्ड ने अंतरधार्मिक शादियों को इस्लामी शरीयत में अवैध करार दिया है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कार्यवाहक महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि एक मुस्लिम लड़की केवल एक मुस्लिम लड़के से ही शादी कर सकती है वैसे ही एक मुस्लिम लड़का एक मुशरिक(बहूदेववादी) लड़की से शादी नहीं कर सकता।

    उन्होंने कहा कि अगर उनकी शादी हो भी गई है तो इस्लामी शरीयत इसे वैध नहीं करार करता। उन्होंने कहा अंतरधार्मिक शादियों का मुख्य कारण शिक्षण संस्थानों तथा नौकरियों में पुरुष महिलाओं का साथ- साथ होना, धार्मिक शिक्षा का अभाव तथा माता-पिता द्वारा दी गई शिक्षा में कमी है। मौलाना के अनुसार अंतर धार्मिक शादी करने वालों को ही बाद में बड़ी परेशानियों से गुजरना पड़ता है यहां तक कि जिंदगी खोने तक का जोखिम होता है। इस तरह की परेशानी से बचने के लिए उन्होंने धार्मिक संगठनों, परिवार तथा समाज के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं।

    पर्सनल लॉ बोर्ड के दिशा निर्देश –

    1. उलेमा-ए-किराम जलसों में इस विषय पर खिलाफ करें और लोगों को इसके नुकसान से जागरूक करें।
    2. अधिक से अधिक महिलाओं के इज्तेमा हों और उनमें सुधारात्मक विषयों के साथ चर्चा करें।
    3. मस्जिदों के इमाम जुमा के खिताब, क़ुरआन और हदीस के दर्स में इस विषय पर चर्चा करें और लोगों को बताएं कि उन्हें अपनी बेटियों को कैसे प्रशिक्षित करना चाहिए ताकि ऐसी घटनाएं न हों?
    4. माता-पिता अपने बच्चों की दीनी (धार्मिक) शिक्षा की व्यवस्था करें, लड़के और लड़कियों के मोबाइल फोन इत्यादि पर कड़ी नजर रखें, जितना हो सके लड़कियों के स्कूल में लड़कियों को पढ़ाने का प्रयास करें, सुनिश्चित करें कि उनका समय स्कूल के बाहर और कहीं भी व्यतीत न हो और उन्हें समझाएं कि एक मुसलमान के लिए एक मुसलमान ही जीवन साथी हो सकता है।
    5. आमतौर पर रजिस्ट्री कार्यालय में शादी करने वाले लड़के या लड़कियों के नामों की सूची पहले ही जारी कर दी जाती है। धार्मिक संगठन, संस्थाएं, मदरसे के शिक्षक गणमान्य लोगों के साथ उनके घरों में जाएं और उन्हें समझाएं और बताएं कि इस तथाकथित शादी में उनका पूरा जीवन हराम में व्यतीत होगा और अनुभव से पता चलता है कि सामयिक जुनून के तहत की जाने वाली यह शादी दुनिया में भी विफल ही रहेगी।
    6. लड़कों और विशेषकर लड़कियों के अभिभावकों को ध्यान रखना चाहिए कि शादी में देरी न हो, समय पर शादी करें क्योंकि शादी में देरी भी ऐसी घटनाओं का एक बड़ा कारण है।
    7. निकाह सादगी से करें, इसमें बरकत भी है, नस्ल की सुरक्षा भी है और अपनी कीमती दौलत को बर्बाद होने से बचाना भी है।

    LEAVE A REPLY

    Please enter your comment!
    Please enter your name here