तौफीक़ हयात
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो को 4 अप्रैल, 1979 को फांसी पर लटका दिया गया था। एक राजनीतिक हत्या के षड्यंत्र में शामिल होने के आरोप में उन्हें यह सजा मिली थी। भुट्टो को माफ कर देने की अमेरिका और सोवियत संघ सहित कई देशों के राष्ट्रपतियो की अपील को भी पाकिस्तान के मिलिट्री शासक जनरल ज़िया-उल-हक़ ने ठुकरा दी थी। कहा जाता हैं कि गिरफ्तारी से पहले जुल्फीकार अली भुट्टो की जमकर पिटाई हुई थी।
पाकिस्तान के सैनिक शासक अपने शासकों के साथ क्या- क्या कर सकते हैं, भुट्टो के साथ किया गया सलूक उसका नमूना है। भुट्टो की गिरफ्तारी के समय का आंखों देखा हाल उनकी पुत्री बेनजीर भुट्टो ने इन शब्दों में लिखा है, “जागो-जागो, कपड़े पहनो, जल्दी”-मेरी मां ने चीख कर कहा और भाग कर मेरे कमरे में आई कि मेरी बहन को जगा दें। फौज ने कब्जा कर लिया है। कुछ ही मिनटों में मैं अपनी मां के कमरे में आ गई, बिना यह समझे कि आखिर हुआ क्या है .हमला ! यहां हमला कैसे हो सकता है ? पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी और विपक्ष के बीच एक समझौता हो चुका है। अभी कल ही की तो बात है। और, अगर फौज ने तख्ता पलट कर दिया हो तो क्या फौजी अब तक ड्र्रामा क्यो कर रहे थे।
अक्टूबर, 1977 में जुल्फीकार अली भुट्टो के खिलाफ हत्या का मुकदमा शुरू किया गया। मुकदमा लोअर कोर्ट में नहीं सीधे हाई कोर्ट में शुरू हुआ। उन्हें फांसी की सजा मिली। सुप्रीम कोर्ट ने भी बहुमत निर्णय में फांसी की सजा बहाल रखी। अप्रैल, 1979 में रावलपिंडी जेल में उन्हें फांसी से लटका दिया गया। इससे पहले बेनजीर ने जेल में अपने पिता से मिलकर उन्हें बताया था कि कितने देशों ने दया की अपील पाकिस्तानी हुक्मरानों से की है। अनेक देशों ने भुट्टो के प्रति नरमी बरतने के लिए जिया से अपील की थी। पर जिया ने दया नहीं दिखाई। बाद में खुद पाकिस्तानी फौजी शासक जिया उल हक की एक विमान दुर्घटना में दर्दनाक मौत हो गई थी।