तौफीक़ हयात
जयपुर। भारत में दिया जाने वाला सबसे बड़ा पुरस्कारों में कई ऐसी हस्तियों का भी नाम शामिल है जिनके काम लोगों कि सोच से परे हैं।
इनमें एक नाम ख़ास चर्चा में है जो अपने काम के साथ अपने पहनावें को लेकर मीडिया सुर्खियों में बनी हुई हैं।
जी हां, हम बात कर रहे है जंगल की इनसाइक्लोपीडिया कही जाने वाली”तुलसी गौड़ा” की।
तुलसी गौड़ा को पद्मश्री पुरस्कार से नवाज़ा गया। जब वे अपना पुरस्कार लेने के लिए गयी तो नंगे पैर व पारम्परिक धोती में नज़र आयी। इससे सभी का ध्यान उन पर केंद्रित हुआ तथा वे चर्चा में आयी।
तुलसी गौड़ा मूलतः कर्नाटक की रहने वाली है जो 77 वर्षीय है। बीते छः दशको से तुलसी तीस हजार से ज्यादा पौधे लगा चुकी है तथा साथ ही उनके बारे में बेहद शानदार समझ रखती है।
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बताया जा रहा है कि तुलसी जब दो वर्ष की थी तब उनके पिता का देहांत हो गया। उनकी मां एक नर्सरी में पौधे लगाने का काम किया करती थी। अपनी मां के साथ तुलसी भी पौधे लगाया करती थी तथा वे तब से इस कार्य मे सक्रिय हैं।
उनके इस कार्य का असर जलवायु परिवर्तन के बचाव में महत्वपूर्ण योगदान है। बढ़ते विकास ने जंगल और पहाड़ो तक को नष्ट किया है। हम कह सकते है कि नए अवसर पैदा करने वाली औद्योगिक क्रांति की शुरूआत से सामन्तवाद से मुक्ति का माध्यम माना गया है। हालांकि अत्यधिक लाभ पाने के लिए उद्योगों ने शोषण और पर्यावरण क्षति के नए औजार बना लिए है। इसी क्षति की पूर्ति करने का काम तुलसी गौड़ा ने जीवन भर किया है।