क्या आप जानते है मैरेटियल रेप को भारत में रेप क्यों नहीं माना जाता।
टोंक। भारत में अगस्त के महीने में केरेला, मुंबई व छत्तीसगढ़ मैं तीन मैरेटियल रेप के कैस आए। जिनमे महिलाओं का आरोप था की उनके पति ने उनसे जबरदस्ती संभोग किया और मना करने पर जोर जबरदस्ती कर संभोग किया। इस संभोग को कानूनी भाषा में मैरेटियल रेप कहा जाता है। हालांकि इन तीनों में से सिर्फ एक कैसे में मैरेटियल रेप को अपराध माना गया बाकी बचे दो कैस में आरोपियों को बरी कर दिया गया और बेस बना मैरेटियल रेप को IPC के तहत रेप न माना जाना। इतना ही नहीं मुंबई सेशन कोर्ट ने बयान देते हुए कहा कि “त्नी के बिना इजाजत यौन संबंध बनाना गैर कानूनी नहीं है”, वहीं छत्तीसगढ़ कोर्ट ने आरोपी को बरी करते हुए कहा कि “हमारे यहा मैरेटियल रेप अपराध नहीं है” जिसके चलते भारत के कई हिस्सों में मैरेटियल रेप को रेप की श्रेणी में लाए जाने के लिए पेटिशंस दायर की गई।
तो आइए जानते हैं मैरेटियल रेप है क्या –
मैरेटियल रेप जब होता है जब पत्नी के द्वारा संभोग के लिए मना करने पर भी पति द्वारा जोर–जबरदस्ती करी जाए, मार पिट करी जाए या किसी भी तरह की हिंसा का प्रयोग किया जाए और संभोग किया जाए । वैसे तो मैरेटियल रेप दुनिया के ज्यादातर देशों में अपराध है, परंतु भारत अभी भी उन 36 अन्य देशों में से है जिसने मैरेटियल रेप को अभी तक रेप का दर्जा नहीं दिया है। जिसकी मांग अगस्त में आए cases की सुनवाइयों के कारण बढ़ गई है।
क्या आप जानते है इसके पीछे का इतिहास और क्या होता है एक्सेप्शन 2( sec–375)–
भारत में IPC (इंडियन पीनल कोड) के सेक्शन 375 के अनुसार किसी भी प्रकार की सेक्सुअल हिंसा व सेक्स के लिए जबरदस्ती रेप के अंतर्गत आती है। परंतु 375 के एक्सेप्शन 2 के तहत 15 साल से ज्यादा उम्र के दंपत्ति में जोर जबरदस्ती से किया गया संभोग रेप नही माना गया इसका कारण है की IPC सन1860 में लिखा गया था। उस समय महिला को individual entity ना मान कर शादी के बाद पति का हिस्सा माना जाता था। जिसकी वजह से उन्हें कई राइट्स से वंचित रखा गया जिसमे से एक कंप्लेन करने का राइट भी था, उन्हे कंप्लेन करने के लिए अपने पति का नाम चाहिए होता था। साथ ही IPC लिखने वाले ब्रिटिशर्स थे जिन्होंने IPC वेस्ट के कानूनों व विक्टोरियन नॉर्म्स के मुताबिक तैयार किए थे। हालांकि आजादी के बाद अब महिलाओं को शादी के बाद भी individual entity का दर्जा मिल चुका है परंतु महिलाओं द्वारा ऐसे cases कम सामने आते है जिसकी वजह से आज तक इस कानून को नही बदला जा सका।
Law एक्सपर्ट्स की माने तो 375 का एक्सेप्शन 2 भारत में दिए जाने वाले दो मूलभूत अधिकारों का हनन भी करता है जिसमे से एक है कांस्टीट्यूशन द्वारा दिया गया आर्टिकल 14 जो भारत में रह रहे हर व्यक्ति को समानता का अधिकार देता है। एक्सेप्शन 2(sec–375) शादी के आधार पर महिलाओं को अलग करता है जो इस आर्टिकल का हनन है। साथ ही एक्सेप्शन 2(sec–375) आर्टिकल 21 का हनन करता है जो भारत ही नहीं पूरी दुनिया के सभी व्यक्तियों के लिबर्टी व प्राइवेसी का हनन करने पर रोक लगता है। ओर मैरेटियल रेप सीधे इस आर्टिकल का हनन करता है।
अब ऐसे में देखना यह होगा कि भारत मैरेटियल रेप को रेप की श्रेणी में कब शामिल करेगा और अगर नहीं करेगा तो किस आधार पर भारतीय कानून ऐसा नहीं करता। ऐसे और लेख पढ़ने के लिए जुड़े रहे थे @thebawabilat से।