प्रिति शर्मा
नई दिल्ली! जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी की विधान परिषद् ने गुरूवार को कॉलेज में “आतंकवाद से मुकाबला करना सिखाने वाले कोर्स” को मान्यता दी है जिसके कारण कॉलेज को भारी अलोचनाओ का सामना करना पड़ रहा है.
दरअसल पूरी बात ये है कि कॉलेज के कई विद्यार्थी और अध्यापक इस कोर्स से खुश नही है, वे इस कोर्स को लाने की जरूरत पर सवाल किए जा रहे है. वही ‘कॉलेज ने हर साल विभाजक भयावह स्मरण दिवस मनाए जाने वाले प्रस्ताव को भी सविकार कर लिया है.
कॉलेज ने फैसला लिया है कि हर इस अवसर पर कॉलेज द्वारा कई कार्यक्रम कराए जाएगें, जैसे सेमिनार, वाद-विवाद प्रतियोगिता, भाषण आदि. ताकि आने वाली समय में भी हम इस त्रासदी के पीडितो को ना भूल जाए.
कॉलेज के अकाडेमिक परिषद ने 17 अगस्त की बैठक में 3 नए कोर्स को जोडा गया है,जिसमें “आतंकवाद से मुकाबला, प्रणालीगत संघर्ष, मुख्य ताकतों के बीच राजनैतिक सहयोग “,”21वी सदी में विशव मे भारत का स्थान”, “वैशिक सम्बंधो में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का महत्व” शामिल हैं.
वही कुछ अध्यापकों और छात्रों का कहना है कि इस तरह के कोर्स की जरूरत ही नहीं है, साथ ही कोर्स में शामिल जिहाद असल में धामिर्क स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों के अंतर्गत अाता हैं. साथ ही कोर्स में सोवियत संघ और चीन जैसे साम्यवादी देशों को अातंक को बढ़ावा देने का कसूरवार बताया हैं जो कि कोर्स में शामिल नहीं होना चाहिए.
वही JNU के वाइस चांसलर मामिदाला जगदेश कुमार ने बुधवार के अपने बयान में कहा है कि इस तरह की बेवजह की अफवाहो पर ध्यान ना दे और बिना अकाडेमिक सेशन शुरू हुए विवाद खडा करना बेकार हैं. एेसी ही और खबरों को सुनने और पढ़ने के लिए बने रहिए http://thebawabilat.in के साथ.