धौलपुर: राजस्थान में आम चुनाव से पहले एक बार फिर कांग्रेसी खेमे के बीच सत्ता संघर्ष खुलकर सामने आ गया है. बीते शनिवार को बाड़मेर में जहां पूर्व सीएम डिप्टी पायलट सचिन ने लीक दस्तावेजों और भ्रष्टाचार को लेकर सीएम अशोक गहलोत पर हमला बोला था. उधर, गहलोत ने रविवार को धौलपुर में पलटवार किया। गहलोत का लक्ष्य 2020 में पायलट खेमा विद्रोह को याद करना है। सीएम ने कहा कि हमारी सरकार को गिराने की पूरी साजिश थी और लाखों खर्च हुए, लेकिन मैंने विधायक का समर्थन कर सरकार को बचा लिया। गहलोत ने फिर कहा कि अमित शाह, धर्मेंद्र प्रधान और ट्रेड यूनियन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कोरोना काल में सरकार को गिराने की साजिश रची. गहलोत ने दावा किया कि राजस्थान के विधायक को पैसे बांटे गए लेकिन अभी तक वापस नहीं किए गए हैं. वहीं, सीएम ने कहा कि मैंने विधायक से कहा कि यह पैसा मत रखिए, रखेंगे तो दबाव बना रहेगा.
बता दें कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 7 मई को धौलपुर जिले के राजाखेड़ा विधानसभा क्षेत्र के मरैना कस्बे में महंगाई राहत कैंप का अवलोकन करने के बाद एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे जहां उन्होंने राजाखेड़ा के विधायक रोहित बोरा की जमकर तारीफ की. इस दौरान सीएम के साथ पीसीसी अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा और राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा भी मौजूद रहे.
गहलोत को फिर याद आई ‘बगावत’
गहलोत ने 2020 के दौरान पायलट खेमे के विधायकों के हरियाणा के मानेसर चले जाने के घटनाक्रम को याद करते हुए कहा कि सवाई माधोपुर विधायक दानिश अबरार, डीडवाना विधायक चेतन डूडी और रोहित बोहरा ने समय रहते मुझे सूचना दी और मुझे दुख है कि निर्दलीय, बीएसपी विधायक जिन्होंने पार्टी के साथ वफादारी निभाते हुए बगावत की जानकारी दी लेकिन मैं उन्हें सरकार में कुछ नहीं दिलवा सका.
गहलोत ने कहा कि अगर ये तीन विधायक मेरा साथ समय पर नहीं देते तो आज मैं मुख्यमंत्री के रूप में आपके सामने नहीं होता. इसके अलावा सीएम ने गिर्राज मलिंगा और खिलाड़ी लाल बैरवा का भी नाम लेकर जिक्र करते हुए कहा कि यह दोनों भी 2020 में हमारे साथ थे लेकिन बाद कुछ परिस्थितियां ऐसी रही कि वह अलग हो गए.